Facts About hanuman chalisa Revealed
Facts About hanuman chalisa Revealed
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तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
भावार्थ – भगवान् श्री रामचन्द्र जी के द्वार के रखवाले (द्वारपाल) आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में किसी का प्रवेश नहीं हो सकता (अर्थात् भगवान् राम की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।
कर्म के साथ भावनाओं का भी महत्व है - प्रेरक कहानी
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।
Noticing this, Tulsidas improved his approach. He started out the hymn by praising Lord Rama and asking for his blessings, while even now honoring Hanuman in the rest of the verses. In this manner, he highly regarded Hanuman’s preference for Rama’s praise and established a hymn that matched Hanuman’s humble nature.[33]
भावार्थ – हे महावीर! आप वज्र के समान अंगवाले और अनन्त पराक्रमी हैं। आप कुमति (दुर्बुद्धि) का निवारण करने वाले हैं तथा सद्बुद्धि धारण करने वालों के संगी (साथी, सहायक) हैं।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जितः॥
व्याख्या – कोई औषधि सिद्ध करने के बाद ही रसायन बन पाती है। उसके सिद्धि की पुनः आवश्यकता नहीं पड़ती, तत्काल उपयोग में लायी जा सकती है और फलदायक सिद्ध हो सकती है। अतः रामनाम रसायन हो चुका है, इसकी सिद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है। सेवन करने से सद्यः फल प्राप्त होगा।
A while just after this celebration, Hanuman commences making use of his supernatural powers on harmless bystanders as uncomplicated pranks, till sooner or later he pranks a meditating sage.
Hanuman Chalisa was composed by Tulsidas, a sixteenth-century poet-saint who was also a philosopher and reformer. Tulsidas is usually renowned since the composer of Ramcharitmanas for his devotion to Shri Rama.
japataJapataKeep repeating / remembering / chanting nirantaraNirantaraContinuously / continually hanumata HanumataLord Hanuman bīrāBīrāBrave Which means: By regularly chanting your title brave Hanuman, all health conditions, pains, and sufferings are going to be eradicated.
भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के hanuman chalisa बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।